1979 में जन्मे मिस्टर दीपक कुमार सिंह के जीवन की कहानी न केवल डायरेक्ट सेलर्स के लिए बल्कि कई लोगो के लिए प्रेरणा का स्रोत है। बचपन में एक हादसे की वजह से वो पोलियो का शिकार हो गए। जिसके बाद उनके जीवन में कई सारे बदलाव आये हालाकि पिताजी के अफसर होने की वजह से दीपक जी को ज़्यादा कष्ट नहीं उठाने पड़े क्योंकि उनके सारे काम नौकर चाकर ही कर लेते थे। उन्हें गार्ड स्कूल में क्लासरूम तक छोड़कर जाते थे और ले भी आते थे । जीवन आराम से गुजर रहा था. लेकिन ग्राउंड में खेलते हुए बच्चो को देखकर उनके मन में हमेशा ये सवाल आता था कि मैं इन बच्चों से अलग क्यों हूँ।
जीवन में आया टर्निंग पॉइंट – दीपक जी का जीवन अच्छा चल रहा था तभी उनके जीवन में एक बहुत बड़े बदलाव ने दस्तक दी जिसने उनके जीवन की धारा को पूरी तरह बदलकर रख दिया। दरअसल दीपक जी को स्कूल उनके गार्ड्स गौद में छोड़ने जाते थे। स्कूल प्रिंसिपल ने उन्हें गौद में आते हुए देखा तो वह हैरान रह गए 8 से 9 साल का बच्चा गौद में आ रहा है उन्होंने उसी दिन से दीपक जी की ट्रेनिंग शुरू कर दी। गार्ड्स को उन्हें क्लास में छोड़ने पर मनाही हो गयी और उनको अपने सारे काम खुद से करने की हिदायत दे दी गयी। अब उन्हें अपने सभी काम खुद से करने थे चाहे वो क्लास में हाथ और पैरो से रेंगते हुए जाना हो या फिर बैग खुद लेते हुए जाना। उनकी यह ट्रेनिंग बढ़ती गयी और एक दिन ऐसा आया की दीपक जी अपना बैग लेकर 5th फ्लोर तक खुद जाने के साथ साथ क्रिकेट में बोलिंग, फील्डिंग से लेकर हॉर्स राइडिंग तक करने लगे। वही से उन्होंने जीवन को पॉजिटिव नज़रिए से देखना शुरू कर दिया।
लिया चुनौती भरा फैसला – दीपक जीवन का जीवन पूरी तरह पटरी पर था पर तभी उनके चाचा के बेटे की आकस्मिक मृत्यु ने सबको तोड़कर रख दिया। चाचा चाची का दुःख उनसे देखा नहीं गया और उन्होंने उनके साथ देहरादून से मुरादनगर रहने का फैसला अपनाया। यह जानते हुए भी कि उन्हें अपनी पढाई के लिए एक रेलवे ट्रैक से होकर गुजरना पड़ेगा। लेकिन उन्होंने खुद को और ,मजबुत बनाया और मुरादनगर जाकर रहने लगे। चाचा चाची के साथ रहकर उन्होंने पढाई भी की और लोन लेकर अपना खुद का इंस्टीट्यूट भी खोला और वह काफी कामयाब भी रहा।
डायरेक्ट सेलिंग ने सपनो को पूरा किया – दिपक कुमार जी ने अपने इंस्टीट्यूट की कई और फ्रेन्चाइसी भी खोल ली थी। जिससे उनका काम और बढ़िया चलने लगा था। तभी डायरेक्ट सेलिंग उनके जीवन में दस्तक दी , उन्हें इंडस्ट्री का पॉजिटिव नजरिया बहुत पसंद आया और उन्होंने पार्ट टाइम के तौर पर इंडस्ट्री को ज्वाइन कर लिया। लेकिन 2007 में उन्हें लगा कि उन्हें इंडस्ट्री को पूरी तरह से समर्पित हो जाना चाहिए। घरवालों की रज़ामंदी के बिना ही उन्होंने पूरी तरह से डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री को अपना लिया और अपने घरवालों से 2 साल का समय ले लिया। बसों के मुश्किल सफर से लेकर रात के सन्नाटे में घर आने तक दीपक कुमार जी के लिए सब बेहद चुनौतीपूर्ण रहा लेकिन उन्होंने सभी चुनोतियो का सीना चीरते हुए सफलता की रौशनी को हासिल किया और मात्र डेड साल के अंदर अपने सभी सपने पुरे कर लिए।
मेहनत को अपना सहारा बनाकर दीपक कुमार जी ने इंडस्ट्री में एक रुतबा और मुकाम हासिल किया है। आज कई सारे लोग उनसे प्रेरणा लेते है। दीपक कुमार जी उम्मीद और जज़्बे की जीती जागती मिसाल है। डायरेक्ट सेलिंग नाउ उनके जज़्बे को सलाम करता है और उनके मंगलमय जीवन की कामना करता है।
देखें दीपक कुमार सिंह की सफलता की कहानी –https://www.youtube.com/watch?v=byuTGUbB-9E&t=63s