पानी है सफलता जो तुमको ,
तो खुद को तुम आज़ाद करो ,
मत डरो मुसीबत से,
अपने हौंसलो को फौलाद करो।
ऐसे ही फ़ौलादी हौंसलो के साथ 1994 में बिलासपुर के एक छोटे से गांव में जन्मे मिस्टर देवानंद यादव आज डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री का जाना पहचाना नाम है लेकिन उनका जीवन पहले से ही ऐसा नहीं था।
लोअर मिडिल क्लास में जन्मे देवानंद यादव ने अपने जीवन में बहुत सारे कष्टों का सामना किया था। कुछ समय तक तो सब ठीक था लेकिन समय ने करवट ली और कठिनाइयों ने उनके जीवन में दस्तक दी।
साल 2003 के बाद जब उनके परिवार का विभाजन हुआ तो, जो जीवन थोड़ा बहुत सही भी चल रहा था वह भी पूरी तरह से उथल पुथल हो गया।
किन्ही कारणवश उनकी माँ को उन्हें छोड़कर जाना पड़ा , घर की स्तिथि बेहद दयनीय हो गयी। न घर में खाना खाने को था, न रहने को अच्छा घर था। देवानंद बताते है कि उनके परिवार में कभी किसी ने नौकरी नहीं की थी। किसी ने गाय चराई तो किसी ने मजदूरी कर पेट पाला।
3 साल उनके जीवन में बेहद दुःखदायी रहे। उन 3 सालों में उन्होंने जीवन के दुःख और कष्ट के वो सब रंग देखे जो शायद व्यक्ति अपने पुरे जीवन काल में भी नहीं देख सकता। लेकिन कहते है न दुःख या कष्ट ज़्यादा लम्बे समय तक नहीं रहता। साल 2005 से धीरे धीरे उनके जीवन में सब थोड़ा थोड़ा सम्भलने लगा ।
साल 2006 में रोजगार के साधन खोजते हुए उनके माता पिता उन्हें उत्तर प्रदेश ले आये। वही माँ -बाप मजदूरी किया करते थे और देवानंद अपने छोटे भाई के साथ पढाई करते थे ।
गरीबी में जीवन गुजर बसर हो रहा था। माँ बाप को सहयोग करने के लिए और अपनी पढ़ाई का खर्चा उठाने के लिए देवानंद जी ने भी मजदूरी की।
क्योंकि देवानंद जी पढाई में हरदम अव्वल आते थे इसी वजह से उनके माता -पिता ने उन्हें बिलासपुर उनकी बुआ के पास पढाई के लिए भेज दिया।
डायरेक्ट सेलिंग ने दी जीवन में दस्तक – B.S.C द्वितीय वर्ष में उनके जीवन में डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री ने दस्तक दी। एक व्यक्ति ने उन्हें डायरेक्ट सेलिंग के सेमीनार का एंट्री टिकट थमाते हुए उन्हें आमंत्रित किया।
जब वह सेमीनार में पहुंचे, पहले तो उन्हें कुछ समझ नहीं आया, लेकिन सेमीनार के अंत में जब उन्होंने देखा कि अलग अलग व्यवसाय के लोग आकर बता रहे है कि कैसे उनको हफ्ते की हज़ारो लाखो इनकम हो रही है तब उन्हें लगा कि इंडस्ट्री उनके जीवन को भी बदल सकती है।
उसके बाद देवानंद जी ने भी डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री में आने की ठान ली और साल 2013 में देवानंद जी ने पढाई छोड़कर पूरी तरह से डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री ज्वाइन कर ली।
पहले 2-3 साल में आयी मुश्किलें – डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री में शुरआत के कुछ साल बेहद मुश्किल भरे रहे। हर किसी ने उनका बहुत विरोध किया , उन्हें हर तरफ से निराशा हाथ लग रही थी, लेकिन उनके सीने में कुछ कर दिखाने की जिद्द और अमीर बनने की आग जल रही थी, जिसने उन्हें कभी थकने और हारने नहीं दिया।
अमीर बच्चों को गाड़ी से उतरते देख देवानंद जी हर दम यही सोचा करते थे कि एक दिन उन्हें भी ऐसी ही ज़िन्दगी चाहिए। आखिरकार इंडस्ट्री में शिद्दत और लगन से काम कर उन्होंने सफलता को पाया।
डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री को भगवान की तरह पूजने वाले देवानंद आज अपने सपने को जी रहे है। सक्सेस को मज़िल नहीं रास्ता समझने वाले देवानंद जी आज इतनी कम उम्र में कई युवाओ के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
उन्होंने जीवन में उनको निचा दिखाने वालों से प्रेरणा लेते हुए अपनी जीवन की सभी चुनौतियों को पार किया और साल 2021 में Youngest Entrepreneur Of The Year, साल 2022 में Most Promising Network Marketing Leader Of The Year Award प्राप्त किया।
डायरेक्ट सेलिंग नाउ उन्हें उनकी मेहनत और लगन के लिए सलाम करता है और उन्हें इंडस्ट्री का एक जगमगाता सितारा बनने पर बधाई देता है।
देखे- कैसे मजदूर का बेटा बना डायरेक्ट सेलिंग फेम ! https://www.youtube.com/watch?v=o_feMbNtMEM&t=8s