वेस्ट बंगाल के छोटे से गांव में जन्मे मिस्टर राणा घोष डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री में 10 साल पूरे कर चुके है। उनका ये सफर आसान नहीं था। जब राणा घोष मात्र 2 साल के थे तब उनके पिताजी उनके बेहतर भविष्य के लिए उन्हें शहर ले आये थे। हालांकि उस समय उनके पिताजी की माली हालत ज़्यादा अच्छी नहीं थी वह उस वक़्त मात्र 1500 रुपए कमाते थे। इतनी कम आय अर्जित करने के बावजूद उनके पिताजी ने उनकी पढाई अच्छे से करवाई ताकि उनका बेटा उनकी तरह मुफलिसी के दिन न देखे। देखते देखते राणा घोष ने अपनी स्कूलिंग पूरी कर ली और ग्रेजुएशन के लिए कॉलेज जाने लगे।
डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री के बारे में जाना – उसी दौरान उनके एक दोस्त ने उन्हें डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री से रूबरू करवाया। एक दिन वह अपने दोस्त के साथ कॉलेज जा रहे थे तभी उनके दोस्त ने उनसे एक सवाल पूछा कि ‘क्या वह पढ़ाई के अलावा भी कुछ करना चाहेंगे’ तब राणा जी ने बड़ी उत्सुकता के साथ हामी भरी थी। तब उनके दोस्त ने उन्हें डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री के बारे में बताया। इससे पहले राणा घोष जी ने डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री के बारे में नहीं सुना था। उनके उस दोस्त ने उन्हें एक व्यक्ति से मिलवाया जिसने डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री की ताकत के बारे में राणा घोष जी को बताया और वह उससे अत्यधिक प्रभावित हुए और उन्होंने इंडस्ट्री को ज्वाइन कर लिया।
शुरुआत रही बेहद मुश्किल – डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री को जानने के बाद राणा घोष को उज्जवल भविष्य की राह नज़र आने लगी थी। उन्हें लगा था कि उनके ख़ास दोस्त और करीबी रिश्तेदार उन्हें सपोर्ट करेंगे लेकिन इसके बिल्कुल उलट हुआ उनके दोस्तों ने उनका साथ नहीं दिया और रिश्तेदारों ने डिमोटिवेट करना शुरू कर दिया। लेकिन सबकी बातों को दरकिनार कर वह लगे रहे। शुरुआत के 2-3 साल बेहद मुश्किल भरे रहे लेकिन सही ट्रेनिंग ने उन्हें सही रास्ता दिखाया। शुरुआती समय में राणा घोष जी ने ऐसी जगह भी डायरेक्ट सेलिंग की जहां उन्हें मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिलती थी पर अपने सीनियर की सलाह और मेहनत को उन्होंने कभी नहीं छोड़ा। धीरे धीरे उनकी मेहनत रंग लाने लगी और डायरेक्ट सेलिंग से उन्हें कमाई होने लगी और प्राइज भी मिलने लगे। कभी ट्रैन की टिकट के लिए भी पैसे जुटाने की सोचने वाले राणा घोष जी आज हवाई जहाज़ से यात्राएं करते है।
जीवन में आया टर्निंग पॉइंट – राणा घोष बताते है एक बार वह अपने पिताजी के साथ किसी कार्यक्रम में शामिल होने गए वहाँ उनके एक रिश्तेदार ने उनके पिताजी से पूछा कि आपका बेटा क्या करता है, तब उनके पिताजी ने धीमी सी आवाज़ में कहा बस ऐसे ही। यह देखकर राणा घोष को बेहद दुःख हुआ कि उन्होंने अपने जीवन में इतनी पहचान भी नहीं बनाई है कि उनके पिताजी उनपर गर्व कर सके। वही से उन्होंने ठान लिया कि कुछ बड़ा करना है और वह ऐसा करने में सफल भी हुए। उस घटना ने उनका जीवन पूरी तरह से बदल दिया।
राणा घोष ने बेहद मेहनत और लगन से इंडस्ट्री में नाम और शोहरत कमाई। इंडस्ट्री में अपनी मेहनत की बदौलत ही उन्हें साल 2022 में प्रतिष्ठित ‘नेटवर्क मार्केटिंग अवार्ड’ द्वारा ‘स्टार्टअप कंपनी ऑफ़ द ईयर 2022’ से भी नवाज़ा गया। मात्र 22 साल की उम्र में अपने खानदान में वह विदेश यात्रा करने वाले पहले व्यक्ति बने और आज उनके पिताजी बेहद गर्व से उनका जिक्र करते है।
डायरेक्ट सेलिंग नाउ उन्हें ढ़ेर सारी शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता है।