Friday, September 26, 2025
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सीईडीएसए 4th एनुअल कॉन्क्लेव के पैनल 4 में 2030 के लिए एकीकृत और सम्मानित डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री का विज़न तय

Network Marketing News: नई दिल्ली। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर डायरेक्ट सेलिंग इन एकेडेमिक्स (CEDSA) द्वारा आयोजित 4th Annual Conclave के दूसरे दिन का सबसे खास सत्र रहा पैनल डिस्कशन 4 – “Envisioning 2030: A Unified, Respected Direct Selling Industry”। इस पैनल का संचालन प्रो. कमल कांत वशिष्ठ ने किया, जिसमें डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री के जाने-माने लीडर्स — श्री गौतम बाली, श्री ए.पी. रेड्डी, श्री रफीक अहमद, श्री देवानंद यादव, श्री कमल नारायण साहू, श्री संतोष सिंह और श्री गौरव बजाज — ने अपने विचार रखे।

पैनल चर्चा का मुख्य मकसद था भारत में डायरेक्ट सेलिंग को 2030 तक देश के टॉप 5 करियर ऑप्शंस में लाना और इसके लिए एक पक्का, मिल-जुलकर और सम्मानजनक विज़न बनाना।

मुख्य चर्चा बिंदु
सत्र की शुरुआत प्रो. वशिष्ठ ने इस सवाल के साथ की कि – “अगले 5 साल में इंडस्ट्री को किस कॉमन विज़न की तरफ बढ़ना चाहिए?” इस पर पैनल के सभी मेंबर्स ने अपने-अपने अनुभव शेयर किए और इस बात पर सहमति जताई कि पॉलिसी सपोर्ट, एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स की भागीदारी और प्राइवेट सेक्टर की एक्टिव भूमिका — ये तीनों आने वाले समय में डायरेक्ट सेलिंग का भविष्य तय करेंगे।

श्री गौतम बाली ने कहा कि भारत में डायरेक्ट सेलिंग सेक्टर के पास अमृत काल में देश की इकोनॉमी से जुड़ने का सुनहरा मौका है। उन्होंने ये भी कहा कि अगर हम इस इंडस्ट्री को प्रोफेशनल एजुकेशन, एथिक्स और टेक्नोलॉजी के साथ जोड़ दें, तो ये सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के लिए भी एक मॉडल बन सकता है।

श्री ए.पी. रेड्डी ने बताया कि 2030 तक ये सेक्टर जॉब क्रिएशन, महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान दे सकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार और इंडस्ट्री के बीच लॉन्ग-टर्म पार्टनरशिप ज़रूरी है।

श्री रफीक अहमद ने पॉलिसी मेकर्स और एजुकेटर्स के साथ अच्छे कम्युनिकेशन की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। उनका मानना है कि स्कूल और कॉलेज लेवल पर डायरेक्ट सेलिंग को एक वैध और सम्मानजनक करियर ऑप्शन के रूप में दिखाया जाना चाहिए।

श्री देवानंद यादव ने कहा कि “हमारे पास यंग एनर्जी है, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर है और एक बड़ा कंज्यूमर मार्केट है। इन तीनों का सही कॉम्बिनेशन हमें 2030 तक ग्लोबल लीडरशिप की तरफ ले जा सकता है।”

श्री कमल नारायण साहू ने डिजिटल इनोवेशन और सप्लाई चेन मॉडर्नाइजेशन पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि प्रोडक्ट की क्वालिटी, टाइम पर डिलीवरी और ट्रांसपेरेंसी — ये तीनों कस्टमर का भरोसा जीतने की चाबी हैं।

श्री संतोष सिंह ने इंडस्ट्री में बराबर मौके और फेयर कम्पटीशन की अहमियत बताई। उन्होंने कहा कि स्ट्रॉन्ग सेल्फ-रेगुलेशन और स्टैंडर्डाइजेशन से न सिर्फ कस्टमर बल्कि डिस्ट्रीब्यूटर भी सुरक्षित महसूस करेंगे।

श्री गौरव बजाज ने अपने अनुभव से बताया कि ट्रेनिंग, स्किल डेवलपमेंट और उद्यमिता एजुकेशन को प्राथमिकता देकर हम आने वाले सालों में डायरेक्ट सेलिंग प्रोफेशनल्स की एक नई पीढ़ी तैयार कर सकते हैं।

अमृत काल और भारत की इकोनॉमिक सोच से जुड़ाव
पैनल में ये भी चर्चा हुई कि भारत सरकार का लक्ष्य 2047 तक डेवलप्ड नेशन बनने का है, और डायरेक्ट सेलिंग इसमें बड़ा योगदान दे सकता है। इसके लिए इंडस्ट्री को आत्मनिर्भर भारत, डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसे कैंपेन्स के साथ जोड़ना होगा।

सभी पैनलिस्ट्स ने माना कि 2030 का विज़न सिर्फ एक आर्थिक लक्ष्य नहीं, बल्कि सम्मान, ट्रांसपेरेंसी और सोशल योगदान का प्रतीक होना चाहिए।

सत्र के अंत में प्रो. कमल कांत वशिष्ठ ने सभी विचारों का सार बताते हुए कहा — “डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री का भविष्य सिर्फ हमारे सपनों पर नहीं, बल्कि टीमवर्क और क्लियर रोडमैप पर डिपेंड करेगा। 2030 में हमें न सिर्फ भारत में बल्कि इंटरनेशनल लेवल पर भी एक आदर्श इंडस्ट्री के रूप में पहचान मिलनी चाहिए।”

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