Network Marketing News: नई दिल्ली — सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर डायरेक्ट सेलिंग इन एकेडमिक्स (CEDSA) द्वारा आयोजित 4th Annual Conclave में 10 जुलाई को हुए दूसरे पैनल ने डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री में गवर्नेंस, एथिक्स और रिकग्निशन जैसे ज़रूरी टॉपिक्स पर डीप डिस्कशन किया। इस पैनल का टॉपिक था — “Strengthening Industry Governance: Self-Regulation, Ethics, and Recognition”।
पैनल की मॉडरेशन श्री राहुल सुदान ने की, जिनके अच्छे संचालन ने चर्चा को सही दिशा दी। इस पैनल में शामिल थे — श्री राजीव गुप्ता, श्री गोपालम सुल्तानिया, श्री राजेश पुनिया, श्री अरविंद आत्री, श्री कुणाल कामरा, और श्री सुरेन्द्र प्रसाद। इन सभी ने अपने अनुभव और नज़रिये से इस टॉपिक को और मज़बूत बनाया।
Self-Regulation बनाम Statutory Regulation पर चर्चा
पैनल की शुरुआत Self-Regulation (खुद से नियम मानना) और Statutory Regulation (कानूनी नियम) के महत्व पर हुई। स्पीकर्स ने माना कि इंडस्ट्री में लंबे समय तक टिकाऊ और सही विकास के लिए Self-Regulation बहुत ज़रूरी है, क्योंकि इससे कंपनियों और डिस्ट्रीब्यूटर्स में जिम्मेदारी और पारदर्शिता आती है। साथ ही, उन्होंने कहा कि Statutory Regulation भी ज़रूरी है, ताकि कानून इंडस्ट्री और कस्टमर्स के हितों की रक्षा कर सके और भरोसा बनाए रखे।
श्री राजीव गुप्ता ने कहा, “जब तक कंपनियां खुद अपने स्टैंडर्ड्स ऊँचे रखने का वादा नहीं करेंगी, तब तक सिर्फ कानून से बदलाव नहीं आएगा। Self-Regulation हमें अपने अंदर के मूल्यों और एथिक्स के साथ काम करने की आज़ादी देता है।”
एथिकल कंपनियों के लिए पहचान और ग्रेडिंग सिस्टम
दूसरा बड़ा पॉइंट था — इंडस्ट्री में सही और एथिकल तरीके से काम करने वाली कंपनियों और टॉप परफॉर्म करने वाले डिस्ट्रीब्यूटर्स के लिए एक रिकग्निशन और ग्रेडिंग सिस्टम बनाना। इस पर स्पीकर्स ने Golden Rudraksha Awards जैसे इंडस्ट्री अवॉर्ड्स के महत्व पर बात की।
श्री गोपालम सुल्तानिया ने कहा, “ऐसे अवॉर्ड्स न सिर्फ मोटिवेट करते हैं, बल्कि ये भी दिखाते हैं कि कौन सी कंपनियां और लीडर्स सच में इंडस्ट्री के लिए मिसाल बन रहे हैं।”
श्री कुणाल कामरा ने सुझाव दिया कि एक सेंट्रलाइज्ड एथिकल ग्रेडिंग प्लेटफॉर्म होना चाहिए, जहां कंपनियों के काम करने का तरीका, कस्टमर सैटिस्फैक्शन, और नियमों के पालन की क्लियर रेटिंग हो।
जन शिकायत निवारण सिस्टम (Public Grievance Redressal Mechanism)
पैनल ने इस पर भी जोर दिया कि डायरेक्ट सेलिंग में कस्टमर्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स के लिए एक तेज़, सही और ट्रांसपेरेंट शिकायत निवारण सिस्टम होना चाहिए।
श्री अरविंद आत्री ने कहा, “अगर शिकायतों का हल टाइम पर और सही तरीके से होगा, तो कस्टमर्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स का भरोसा बहुत बढ़ जाएगा। इससे गलत प्रचार और गलतफहमियों को भी रोका जा सकेगा।”
श्री सुरेन्द्र प्रसाद ने बताया कि इंटरनेशनल लेवल पर कई देशों में ऑनलाइन पब्लिक फीडबैक पोर्टल होते हैं, जिन्हें भारत में भी अपनाया जा सकता है।
एथिकल प्रैक्टिस के लिए मज़बूत फ्रेमवर्क
पैनल में यह सवाल भी आया कि ऐसा कौन सा सिस्टम बनाया जाए, जिससे कंपनियों और डिस्ट्रीब्यूटर्स में हमेशा एथिकल तरीके से काम हो।
इस पर श्री राजेश पुनिया ने कहा कि एजुकेशन और ट्रेनिंग सबसे बड़ा तरीका है। कंपनियों को नए और पुराने डिस्ट्रीब्यूटर्स के लिए एथिक्स-बेस्ड ट्रेनिंग मॉड्यूल शुरू करने चाहिए।
उन्होंने कहा, “एथिक्स को सिर्फ रूल बुक में नहीं, बल्कि कंपनी कल्चर का हिस्सा बनाना होगा।”
रिकग्निशन से प्रोफेशनलिज़्म में बढ़ोतरी
Golden Rudraksha Awards जैसे अवॉर्ड्स पर बात करते हुए पैनल ने माना कि ऐसे सम्मान इंडस्ट्री में हेल्दी कॉम्पिटीशन और प्रोफेशनलिज़्म लाते हैं।
श्री गोपालम सुल्तानिया ने कहा कि जब किसी को खुले मंच पर उसके ईमानदार और बेहतरीन काम के लिए सम्मान मिलता है, तो वह न सिर्फ उसकी प्रेरणा बढ़ाता है बल्कि बाकी लोगों के लिए भी एक स्टैंडर्ड तय करता है।
निष्कर्ष और आगे का रास्ता
पैनल के अंत में मॉडरेटर श्री राहुल सुदान ने सभी स्पीकर्स को धन्यवाद दिया और कहा कि यह चर्चा इंडस्ट्री के भविष्य के लिए अहम है। उन्होंने कहा, “अगर हम Self-Regulation, पारदर्शिता और सम्मान की संस्कृति अपनाएं, तो डायरेक्ट सेलिंग भारत में सबसे भरोसेमंद बिजनेस मॉडल बन सकता है।”
इस तरह, दूसरे पैनल ने इंडस्ट्री के नैतिक और स्ट्रक्चरल सिस्टम को मज़बूत करने के लिए ठोस सुझाव और आइडियाज दिए, जो आने वाले सालों में डायरेक्ट सेलिंग के विकास में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
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