Friday, January 3, 2025
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लक्ष्य को कभी टालो मत उसके पीछे पड़ जाओ – मिस्टर महावीर कैंतुरा

मंजिल उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौंसलो से उड़ान होती है।  ऐसे ही हौंसलो के उड़ान की कहानी है ऋषिकेश के छोटे से गांव छिद्दरवाला के एक मिडिल क्लास परिवार में जन्मे महावीर कैंतुरा जी की। उन्होंने जीवन में क़ामयाबी पाने के लिए जी तोड़ मेहनत करने के साथ साथ कई बार नाकामी का मुँह भी देखा। लेकिन महावीर जी ने कभी हार नहीं मानी और अपनी मंजिल की तरफ चलते गए। महावीर जी ने अपने परिवार को पैसो की कमी से जूझते हुए देखा तब उन्होंने ये जाना कि जब परिवार के पास वित्तीय स्वतंत्रता न हो तो जीवन कितना मुश्किल हो जाता है। 

पिता का साया सर से उठा – महावीर जी के पिता काफी बीमार चल रहे थे लेकिन  M.S.C आखिरी वर्ष के आखिर पेपर के दिन डॉक्टर ने उन्हें घर ले जाने की इजाजत दे दी थी सबको लगा वह  स्वस्थ घर आ जाएंगे लेकिन जब महावीर जी अपना अंतिम पेपर देकर घर की तरफ इस ख़ुशी से रवाना हुए कि घर में पिताजी से उनकी मुलाकात होगी तब घर पहुंचकर उनको बहुत बड़ा धक्का लगा। घर में पहुंचकर उन्होंने देखा उनके पिताजी जीवित नहीं बल्कि मृत्युशैया पर लेटे हुए है। उस हादसे ने उन्हें अंदर तक तोड़ कर रख दिया, उन्हें इस बात का बहुत दुःख हुआ कि वो अपने पिता के लिए कुछ भी नहीं कर पाएं।   

डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री का उनके जीवन में किया प्रवेश – पिता की मृत्यु के बाद उनको जीवन में कुछ ऐसा करना था जो उनके जीवन की काया पलट दे। जो उन्हें एक स्वर्णिम भविष्य की और ले चले। तभी साल 2004 में डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री ने उनके जीवन में दस्तक दी। डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री का बिज़नेस मॉडल उन्हें बहुत पसंद आया हालांकि तब महावीर जी जीवन को लेकर इतने सीरियस नहीं थे। वह अपनी उम्र से छोटे बच्चो के साथ क्रिकेट खेला करते थे और किताबें पढ़ा करते थे और उनका कम्युनिकेशन बहुत खराब था। डायरेक्ट सेलिंग में उन्हें लोगो को अपनी बात समझाकर उनको ज्वाइन करवाना होता है लेकिन ख़राब कम्युनिकेशन स्किल की वजह से कोई उनकी बात समझ ही नहीं पाता था जिस वजह से उन्हें कई बार असफलता का मुँह देखना पड़ा। यही नहीं उन्हें इंडस्ट्री में जॉइनिंग के लिए 2450 रुपए जमा करने में भी बहुत मशक्त करनी पड़ी। डायरेक्ट सेलिंग में आने के उनके निर्णय का परिवार ने बहुत विरोध किया लेकिन महावीर जी ने किसी की एक भी नहीं सुनी और इंडस्ट्री में आ गए।  इंडस्ट्री में आकर उन्होंने अपना पहला कंसल्टेंट मैनेजर बनने का लक्ष्य निर्धारित किया। 

असफलताओं  ने सफलता की दहलीज पर लाकर खड़ा किया – अपना पहला टारगेट पाने का समय उन्होंने 2 महीने रखा लेकिन समय बीतता चला गया देखते देखते 2 महीने 14 महीनों में बदल गये पर सफलता उनके हाथ न लगी। 15 महीने बाद आखिर कार उन्होंने अपने लक्ष्य को प्राप्त किया तब उन्हें एक बात समझ आयी कि कभी भी अपने लक्ष्य को छोड़ना नहीं है। 

महावीर कैंतुरा जी ऐसे ही अपने लक्ष्य निर्धारित करते गए और गिरते पड़ते उन्हें हासिल करते रहे।  लेकिन जीवन में अभी भी मार्गदर्शन की कमी की वजह से वह आगे नहीं बढ़ पा रहे थे।  उनके जीवन में 7 लाख का कर्ज था जो उनको अंदर ही अंदर खाए जा रहा था। उन्होंने अपने जन्मदिन पर खुद से यह संकल्प किया कि अपने बेटे के जन्मदिन तक कर्ज मुक्त होना है। अपने सकारात्मक संकल्प और इंडस्ट्री में जी तोड़ मेहनत कर उन्होंने अपने कर्ज मुक्त होने के सपने को पा लिया। यही नहीं महावीर जी ने अपने दृढ़ निश्चयी सोच से इंडस्ट्री में अपना एक मौकाम हासिल किया। महावीर जी कहते है कि वो सफलता की सीढ़िया चढ़ते चढ़ते कई बार गिरे लेकिन उन्होंने इंडस्ट्री को छोड़ने के विकल्प को कभी नहीं चुना और डायरेक्ट सेलिंग को अपना बिज़नेस मानकर ही आगे बढ़ाया। उनकी यही सोच उन्हें इंडस्ट्री में बहुत आगे लेकर गयी और आज वह लीडिंग डायरेक्ट सेलर, ट्रेनर और मोटिवेशनल स्पीकर के साथ साथ “ The Vaccine For Financial Freedom.”  जैसी प्रसिद्ध किताब के लेखक के रूप में अपनी पहचान बना चुके है। डायरेक्ट सेलिंग नाउ उन्हें अच्छे स्वास्थ्य और ढेर सारी समृद्धि की कामना करता है। 

देखे मिस्टर महावीर कैंतुरा की सक्सेस स्टोरी- https://www.youtube.com/watch?v=CZ2TR2KDfOk&t=35s

 

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