Guru Arjan Dev Shaheedi Diwas 2024: ‘तेरा कीया मीठा लागै॥ हरि नामु पदार्थ नानक मांगै॥’ – श्री गुरु अर्जुन देव जी!!
यानि परमात्मा आपका हर आदेश मुझे मीठे के समान स्वीकार है। यह श्री गुरु अर्जुन देव जी का संगत को एक बड़ा संदेश है कि इंसान को हमेशा परमेश्वर की रजा में राजी रहना चाहिए। 1606 में जब जहांगीर के आदेश पर गुरु अर्जुन देव जी को आग के समान तप रही तवी पर बिठा दिया गया था, तब भी वो इन शब्दों को दोहराते हुए परमेश्वर का शुकराना कर रहे थे।
15 अप्रैल 1563 में हुआ था जन्म
श्री गुरु अर्जुन देव जी का जन्म माता भानी जी और गुरु रामदास जी के घर में 15 अप्रैल 1563 में गोइंदवाल साहिब में हुआ था। उनका पालन-पोषण गुरु अमरदास जी और बाबा बुड्ढा जी जैसे महान आध्यात्मिक शख्सियतों के मार्गदर्शन में हुआ। उन्होंने ही अर्जुन देव जी को गुरमुखी की शिक्षा दी। छोटी उम्र से ही, वे अपने शांत स्वभाव और पूजा के प्रति समर्पण के लिए जाने जाते थे। गुरु रामदास जी के तीन बेटे थे, जिनमें बाबा महादेव जी, बाबा पृथ्वी चंद जी और अर्जुन देव जी शामिल हैं। साल 1579 में उनका विवाह माता गंगा जी के साथ हुआ था। दोनों का पुत्र हुआ जिनका नाम हरगोविंद सिंह था, जो बाद में सिखों के छठे गुरु बने।
Guru Arjan Dev Shaheedi Diwas 2024: शहीदों का सरताज
आज 10 जून को सिख धर्म के 5वें गुरु गुरु अर्जन देव जी का शहीदी दिवस (Guru Arjan Dev Shaheedi Diwas 2024) है। वो सिख धर्म के पहले शहीद हुए हैं, और इसी कारण उन्हें शहीदों का सरताज कहा जाता है। गुरु अर्जन देव जी का जन्म स्थान गोइंदवाल साहिब/ तरनतारन जिला, पंजाब है। मान्यताओं के अनुसार गुरु अर्जुन देव जी को मुगल बादशाह जहांगीर ने 1606 को लाहौर में शहीद कर दिया गया था। और उसी की यादगार में गुरुदेव को श्रद्धांजलि देने के लिए आज पूरा सिख समाज गुरु अर्जुन देव जी की पुण्यतिथि मना रहा है।
विश्व स्तर पर सिखों द्वारा मनाई जाने वाली गुरु अर्जन देव जी की पुण्यतिथि पांचवें सिख गुरु की शहादत का प्रतीक है। यह दिन उनके जीवन और विरासत, विशेष रूप से उनके विश्वास के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता की यादगार है, जो सत्य, न्याय और समानता में दृढ़ विश्वास रखते थे। गुरु अर्जन देव जी विनम्रता के पुंज हैं, जिन्होंने कभी भी किसी को भी दुर्वचन नहीं बोले।
knowledge adda
Rabindranath Tagore Jayanti 2024: कई देशों के राष्ट्रगान रचयिता रवींद्रनाथ टैगोर जी की 163वीं जयंती