कहते है ‘अगर कश्तिया ज़िद पर आ जाये तो उनके सामने तूफ़ान भी हार जाते है’। ऐसी ही कुछ ज़िद लेकर गोवा में जन्मे शशिष कुमार तिवारी बेहद साधारण से परिवार से है । उनके पिताजी आर्मी में थे। पिताजी के रिटायरमेंट के बाद वह सभी अपने गांव आ गए, जो बिहार में था।
साधारण से असाधारण बनने की कहानी – एक साधारण से परिवार से होने के कारण शशिष की पढ़ाई लिखाई गांव के ही सरकारी स्कूल में हुई। जिस स्कूल में शशिष पढ़े लिखे वहां बैठने के लिए न कुर्सी हुआ करती थी और न ही कुछ और , शशिष बताते है कि वह घर से बैठने के लिए बोरी लाया करते थे। ऐसे करते करते उनका बचपन बीतने लगा , जब वह 8 वी कक्षा में थे तब बिहार में 8 वी में बोर्ड हुए जिसमे उन्होंने पूरा जिला टॉप किया। जिला टॉप करने के कारण उनके पिताजी ने पूरे गांव में मिठाई बटवाई, सभी ने उन्हें बधाई भी दी। पढ़ाई में अच्छा होने के कारण सभी ने उनके पिताजी को बेटे को पटना शहर ले जाने की हिदायत दी ताकि उनका बुद्धिमान बच्चा आगे अपना बेहतर भविष्य बना सके और सबकी बात मानते हुए उनके पिताजी उन्हें पटना ले आये ।
कमज़ोरी को बनाया ताकत – पटना आते ही शशिष के पिताजी उन्हें अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल में एडमिशन के लिए ले गए लेकिन जब प्रिंसिपल ने शशिश को अंग्रेजी पढ़ने के लिए कहा तो वह अंग्रेज़ी कमज़ोर होने की वजह से सही से नहीं पढ़ पाए लेकिन डिस्ट्रिक्ट टॉपर होने की वजह से उन्हें एडमिशन मिल गया। अंग्रेजी कमज़ोर होने की वजह से शशिष का उनके सहपाठी मज़ाक उड़ाया करते थे और इसी के चलते उन्होंने अंग्रेजी माध्यम स्कूल से विदा ले ली। हालाकि अपने क्लासमेट द्वारा मज़ाक उड़ाए जाने की वजह से शशिष ने अंग्रेजी सिखने का मन बना लिया और उन्होंने 8 महीने के अंदर अंग्रेजी सीखी भी। अपनी मेहनत और लगन की बदौलत उन्होंने कोचिंग में अंग्रेजी पढ़ाई और अपने उन दोस्तों को भी अंग्रेजी सिखाई, जो कभी स्कूल में उनका मज़ाक उड़ाया करते थे। इसके बाद शशिष जी ने दूरदर्शन और आकाशवाणी के लिए भी कविताये लिखी जहां से उन्होंने बहुत कुछ सीखा।
डायरेक्ट सेलिंग का प्रवेश – शशिष जी के जीवन में सब कुछ अच्छा चल रहा था तभी उनके एक स्टूडेंट ने उनसे पूछा कि वो संडे में क्या कर रहे है , शशिष जी ने जवाब दिया कि वो संडे को कोचिंग के लिए क्लब हाउस जा रहे है तभी तपाक से उनके स्टूडेंट ने कहा कि वो अगर उसे अपने 2 घंटे दे देंगे तो वह उनका जीवन बदल सकता है। पहले तो शशिष ने मना कर दिया लेकिन फिर काफी सोचने के बाद वो अपने उस स्टूडेंट के साथ जाने को तैयार हो गए। जब वह स्टूडेंट की बताई जगह पहुंचे तो उन्होंने पहली बार डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री का सेमीनार देखा। सेमिनार को ज्वाइन करने के बाद शशिष जी को लगा कि इंडस्ट्री में कुछ तो अलग है, हालांकि उनके मन में तब इंडस्ट्री ज्वाइन करने का ख्याल नहीं आया। स्टूडेंट के बार बार कहने के बाद आखिर उन्होंने डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री ज्वाइन कर ली।
5 से 6 साल डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री में काम करने के बाद और अपनी हज़ारो की टीम बनाने के बाद उन्हें किसी कारणवश डायरेक्ट सेलिंग छोड़नी पड़ी।
नया नजरिया – शशिष कहते है कि डायरेक्ट सेलिंग छोड़ने के बाद भी उनके अंदर डायरेक्ट सेलिंग हमेशा से ज़िंदा थी और उन्हें इंडस्ट्री में कुछ करना था इसीलिए उन्होंने अपने एक यूट्यूब चैनल की शुरुआत की।
अपने चैनल के माध्यम से शशिष ने डायरेक्ट सेलिंग के बारे में वो सभी जानकारी दी जिससे एक डायरेक्ट सेलर को जानना बेहद जरुरी है। आज वह बहुत क़ामयाबी के साथ लाखो डायरेक्ट सेलर्स को राह दिखा रहे है।
शशिष जी कहते है कि किसी भी डायरेक्ट सेलर को कभी हार नहीं माननी चाहिए।
डायरेक्ट सेलिंग नाउ उनके कभी हार न मानने के जस्बे को सलाम करता है और उन्हें ढेर सारी शुभकामनाएं देता है।